Thursday, June 20, 2013

यूपी आईपीएस एसोसियेशन बनाम अमिताभ ठाकुर




तेरी नाराजगी का गम तो है,
क्या करूँ कुछ भ्रम भी है,
मैं अपनी तरह से सोचता,
इस सोच में उलझन भी है.

मैं चाहता हूँ तेरा प्यार मिले,
तेरा साथ और इकरार मिले,
कुछ बंदिशें हैं जिम्मेदारियां
मेरी जुत्सजू हमकदम भी है.

कभी वक्त ऐसा आएगा
मेरी सोच में ढल जाएगा
ये जो दूरियां दिखती अभी
खुदबखुद मिट जाएगा.

ये चंद शब्द मैंने अपने सर्विस के उन साथियों के लिए लिखा है जिनसे मेरी सोच में कई बिंदुओं पर नाइत्तेफाकी बन जाती है. जिन मुद्दों पर व्यक्तिगत रूप से हम अलग-अलग खड़े दिखते हैं उनमे एक मुद्दा अधीनस्थ सेवा के अधिकारियों के लिए एसोसियेशन का है.

दरअसल एक एक्ट है पुलिस बल (रेस्ट्रिकशन ऑफ राइट्स) एक्ट 1966. इसकी धारा 3(1) के अंतर्गत उत्तर प्रदेश शासन से अनुमति लेने के बाद ही पुलिस में कोई एसोसियेशन आदि बन सकता हैं.

आरटीआई से प्राप्त सूचना के अनुसार यूपी आईपीएस एसोसियेशन कोई शासन से कोई अनुमति नहीं है, फिर भी वह सक्रीय हैं. इस प्रकार यह एक्ट की धारा चार में कानूनी अपराध है.

जब मैं इसका हवाला दे कर अपने साथियों से पूरे पुलिस के लिए एकीकृत पुलिस एसोसियेशन बनाए जाने की बात करता हूँ तो मेरे कई साथी कहते हैं कि आईपीएस की बात अलग है, दरोगा सिपाही की अलग. इसके विपरीत मैं यह मानता हूँ कि पूरा पुलिस विभाग एक है. हम एक साथ ही अच्छा या बुरा कर सकते हैं. यह समाज में एक ईकाई के रूप में जाने जाते हैं. अतः इस कृत्रिम बंटवारे से ऊपर उठें. मैं यह जानता हूँ कि मेरे कई साथी ह्रदय से मेरी बात पूरी तरह मानते हैं पर शायद उन पर ग्रुप प्रेसर हावी हो जाता है.

बस इसीलिए पूरे पुलिस के लिए एक एकीकृत एसोसियेशन बनाए जाने को प्रयासरत हूँ और इसके लिए कोई भी नाराजगी झेलने को तैयार हूँ.

कई आईपीएस अधिकारियों द्वारा अपने लिए एसोसियेशन बनाने का अलग नियम और दूसरों के लिए अलग नियम की बात सोचना संविधान की मूल अवधारणा के खिलाफ है.

इस बारे में हाई कोर्ट भी गया. आदेश मिला कि यदि वादी को उत्तर प्रदेश आईपीएस एसोसोयेशन के विरुद्ध कोई शिकायत है तो वह सम्बंधित अधिकारियों के पास विधि के प्रावधानों के अनुरूप प्रार्थना कर सकता है.

कई बार इस बारे में आवश्यक स्थानों पर अपनी बात रख चुका हूँ. अब एक ही रास्ता दिखता है कि क़ानून के तहत एफआईआर करने को आगे बढूँ. कई साथी आज भले नाराज़ होएँगे, लेकिन एक दिन यह मानेंगे कि मैं अपनी जगह सही पर था. आज का समय पुलिस में कृत्रिम भेदभाव का नहीं, समरूपता और बराबरी की सोच का है और मैं इस बारे में अपनी औकात भर काम करने को कृतसंकल्प हूँ. 

कभी वक्त ऐसा आएगा
मेरी सोच में ढल जाएगा
ये जो दूरियां दिखती अभी
खुदबखुद मिट जाएगा.

1 comment:

  1. Bilkul sahi kaha aapne, yadi ye desh ab hamara hai to angrezon ke samana hukumat kyo? England me angrezi hukumat hamse jyada jimmedar hai aapne deshvasiyon ke liye.

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