Saturday, June 1, 2013

नसीहतें



क्यों करे रहे बर्बाद खुद को,
कितने मेधावी हो तुम,
कितना अच्छा कैरियर,
कितनी बड़ी नौकरी,
कितना सुनहरा भविष्य,
आज आईजी होते,
कल प्रदेश के डीजीपी,
परसों कहीं के राज्यपाल भी,
कितना कुछ पा सकते हो,
कितना कुछ दिया भगवान ने,
पता नहीं पागलपन का कौन दौरा,
पता नहीं क्या बेवकूफी,
पता नही क्या सनक,
पता नहीं क्या जिद,
खुद भी डूब रहे,
दूसरों को कर रहे असुरक्षित,
कहाँ से कहाँ आ गए
क्या से क्या हो गए,
अरे अब तो सुधर जाओ,
अरे अब भी तो संभल जाओ,
बहुत पछताओगे,
देर हो चुकी होगी तब,
अभी मौका है,
जिंदगी सामने खड़ी मुस्कुरा रही है,
लहरा कर ले लो,
कल खाली हाथ रह जाओगे.

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर, बहुत सटीक

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