Thursday, May 16, 2013

बीएसएनएल द्वारा अवांछनीय एसएमएस भेजने पर एफआईआर में मा० हाई कोर्ट से राहत नहीं

बीएसएनएल द्वारा अवांछनीय एसएमएस भेजने पर एफआईआर में मा० हाई कोर्ट से राहत नहीं

बीएसएनएल मोबाइल पर अवांछनीय एसएमएस भेज कर पैसे लूटने से जुड़े मामले में मैंने थाना महानगर, लखनऊ पर एक एफआईआर दर्ज कराया था.

मैंने एफआईआर में कहा था कि  दोपहर बारह बजे मेरे तथा  पत्नी नूतन ठाकुर के मोबाइलों पर किसी इजीवॉल्ट सर्विस के एक नंबर 525854020 से मैसेज आया जिसने यह कहते हुए कि आपका डाटा अब सुरक्षित है, उन दोनों के एकाउंट बैलेंस से बीस रुपये अचानक से काट लिए. मेरे अनुसार यह इलेक्ट्रोनिक माध्यम का प्रयोग करते हुए की गयी चोरी तथा ठगी है जो बिना उनकी इच्छा के किया गया है.

मैंने अपने प्रार्थनापत्र में कहा कि चूँकि उन्होंने कई लोगों के साथ ऐसा होने की बात सुनी है, अतः इसे जनहित का मुद्दा समझते हुए एफआईआर हो.

इस एफआईआर के विरुद्ध एक याचिका नेटएज टेलीसोल्यूशन, नयी दिल्ली के मालिक श्री ए बी शर्मा और मैनेजर श्री सिद्धार्थ सिंह बिष्ट द्वारा मा० इलाहाबाद हाई कोर्ट, लखनऊ बेंच में यह कहते हुए दायर किया गया था कि यह तकनीकी गडबडी से हटी घटना थी जो मूलतः सिविल वाद है और मेरे  द्वारा अपमे आईपीएस पद का दुरुपयोग करके एफआईआर दर्ज कराया गया है.


लेकिन जस्टिस मा० अब्दुल मतीन और जस्टिस मा० अश्वनी कुमार सिंह की बेंच ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा कि एफआईआर के अनुसार प्रकरण में सीधे तौर पर संज्ञेय अपराध कारित हुआ है. अतः एफआईआर को निक्षेपित नहीं किया जा सकता. अतः याचिका बलहीन होने के कारण खारिज की जाती है. यदि वादी कोर्ट में हाजिर हो कर जमानत की अर्जी देता है तो उसका क़ानून के मुताबिक़ शीघ्रता से निस्तारण कर दिया जाए.

इससे मेरी पूर्व में लिखवाई एफआईआर को निश्चित रूप से काफी बल मिलता है और ऐसा करने वालों के खिलाफ अग्रिम कार्यवाही करने का ठोस आधार भी.

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