Friday, May 10, 2013

अपनी टांग तुडवाना है

अपनी टांग तुडवाना है

आज मा० हाई कोर्ट ने कतिपय वरिष्ठ अधिकारियों के स्तर पर मा० कैट को मेरी प्रोन्नति से सम्बंधित मामले में न्यायिक प्रक्रिया में यथेष्ट सहयोग नहीं करने विषयक मेरी याचिका पर अच्छा रेस्पोंस देते हुए राज्य सरकार से स्थिति स्पष्ट करने के आदेश दिये. साथ ही मा० कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई मात्र चार दिन बाद 14 मई को रख दिया.

बहुधा ऐसा होता है कि यदि मैं चाहूँ तो किसी मामले में आँख मूँद लूँ या किसी प्रकार का पंगा ना लूँ. मैं ऐसा ही करता यदि मुझे अपना कोई व्यक्तिगत काम बनाना होगा. मेरी समस्या यह है कि मैं अपना कोई काम नहीं बनाना चाहता. मैं चाहता हूँ मेरे सभी व्यक्तिगत काम बिगडें और जो काम एक मिनट में होता हो वह जीवन भर के लिए उलझ जाए. पर साथ ही मैं यह भी चाहता हूँ कि इसी मेरी उलझन से दूसरों के लिए सुलझन निकले.

मेरा आज दायर किया रिट भी उसी प्रकृति का है जिसमे व्यक्तिगत लाभ तो शायद सीमित हो पर इसमें व्यवस्था जन्य कतिपय बुनियादी और आधारभूत प्रश्न उठाये गए हैं. यदि मुझसे कोई वास्ता है तो यही कि इससे ताकतवार स्थानों पर बैठे कुछ लोग मुझसे नाराज़ हो जाएँ लेकिन ऐसे लोगों की नाराजगी या उससे जुड़े हानि के भय का मुझपर अकसर ज्यादा असर नहीं पड़ता. इसके विपरीत इस बात की निरंतर आतंरिक प्रसन्नता अवश्य रहती है कि मैं वृहत्तर लोक महत्व का कोई प्रश्न उठा रहा हूँ, जैसा मैंने इस रिट याचिका में भी किया है. यहाँ मैंने यह कहा है कि जो भी अधिकारी न्यायिक आदेशों को कौड़ी के भाव समझता है और उसे धता बताने की कोशिश करता है उसे सख्त सजा दी जानी चाहिए. हममे से प्रत्येक व्यक्ति को ऐसी सोच रखने वाले हर सरकारी अधिकारी के विरुद्ध सामने आना चाहिए.

1 comment:

  1. ye taang tootane baalee nahee hai sir... doosre kee taang toot jaayegee

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