Thursday, May 16, 2013

मा० हाई कोर्ट- सतर्कता, सीआईडी की मुक्ति पीआईएल में जवाब



मा० हाई कोर्ट- सतर्कता, सीआईडी की मुक्ति पीआईएल में जवाब 

मा० चीफ जस्टिस के सामने खड़े हो कर बहस करना और इस दौरान मा० कोर्ट सहित सभी सम्बंधित पक्षों की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने और अनुभव करने का बहुत ही आनंददायक मौका आज मुझे प्राप्त हुआ. 

मेरे और पत्नी नूतन द्वारा उत्तर प्रदेश के विभिन्न अन्वेषण एजेंसियों की जांच प्रक्रिया में सरकार के नियंत्रण को समाप्त किये जाने सम्बंधित पीआईएल में आज मा० इलाहाबाद हाई कोर्ट, लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार से आठ सप्ताह में अपना विस्तृत प्रतिशपथ पत्र दायर करने को कहा है.
चीफ जस्टिस मा० शिव कीर्ति सिंह और जस्टिस मा० डी के अरोड़ा की बेंच ने आदेशित किया कि सरकार अपने जवाब में याचिका के उस हिस्से पर भी अपनी स्थिति स्पष्ट करे जिसमे यह प्रार्थना की गयी है कि इन अन्वेषण एजेंसी, जिन्हें याचिका में श्रेष्ठ अन्वेषण एजेंसी कहा गया है, को अपनी जांच समाप्त करने के बाद राज्य सरकार से अनुमति लेने के बजाय सीधे कोर्ट में अपना आरोपपत्र दायर करने का अधिकार मिले.

मैंने अपने बहस में कहा कि सतर्कता अधिष्ठान, सीबी-सीआईडी, ईओडब्ल्यू एसआईबी को-ऑपरेटिव तथा एसीओ अपराधों का अन्वेषण और जांच दंड प्रक्रिया संहिता के अनुसार करते हैं, जिसमे पूरा दायित्व और अधिकार अन्वेषण अधिकारी और उसके वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को हैं. जांचकर्ता अधिकारी से यह अपेक्षा की जाती है कि वह विवेचना करके उसके परिणाम से सीधे न्यायालय को अवगत कराएगा. इसके विपरीत उत्तर प्रदेश में जांच शासन को सौंपी जाती है और वे ही इन पर अंतिम निर्णय करते हैं.

यह अपने आप में कुछ अनोखी स्थिति थी जब राज्य की ओर से अपर महाधिवक्ता सुश्री बुलबुल गोदियाल भी याचिका का सीधा विरोध करने के बजाय इसके वृहत्तर आयामों से सहमति दिखाती दिखीं और उन्होंने मा० कोर्ट को बताया कि दिसंबर 2012 में डीजी, ईओडब्ल्यू द्वारा विवेचना के बाद अपनी रिपोर्ट सीधे कोर्ट में दाखिल करने की अनुमति मांगी गयी है जिस पर शासन विचार कर रहा है. उन्होंने कहा कि शासन याचीगण द्वारा प्रस्तुत तथ्यों पर सकारात्मक ढंग से विचार करेगा.

यह मेरे लिए संतोष का विषय है कि जिस प्रकरण में एक लंबे समय से बहस चली आ रही थी और जिस पर पुलिस अधिकारी और उत्तरदायित्व तथा पारदर्शिता के क्षेत्र में कार्यरत लोग काफी समय से विचार कर रहे थे, उस सम्बन्ध में मुझे भी अपने स्तर से सहयोग करने का अवसर मिल सका.

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