Saturday, May 25, 2013

इतनी हिम्मत !



इतनी हिम्मत !
 
मैंने और पत्नी नूतन ने जब इन्फोर्मेशन टेक्नोलोजी  एक्ट 2000  में धारा 79 के तहत बनाए गए 
इन्फोर्मेशन टेक्नोलोजी (इंटरमिडीएरी गाइडलाइन्स) नियमावली 2011 के नियम 11 के अनुसार 
इंटरमिडीएरी द्वारा अपने वेबसाईट पर शिकायत अधिकारी के नाम और उनके संपर्क पते प्रकाशित
 करने के बारे में मई 2012 में इलाहाबाद हाई कोर्ट, लखनऊ बेंच में एक रिट याचिका की थी तो 
हमें नहीं मालूम था कि इस दौरान एक पर एक गंभीर बातें सामने आएँगी.  
 
जो नयी बात हमें देखने को मिली वह थी कि जहाँ भारतीय इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर देश के क़ानून
 का पालन करते हुए आईटी एक्ट के तहत बने नियम के अनुसार शिकायत अधिकारी नियुक्त कर 
रहे हैं, वहीँ विदेशी प्रोवाइडर इसका पालन नहीं कर रहे हैं. 
 
यह तथ्य स्वयं सचिव, इलेक्ट्रौनिक और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा हमें इस 
विषय में प्रेषित आदेश के साथ संलग्न सूचनाओं के जरिये सामने आये.  


सचिव के आदेश के साथ 29 नवंबर 2012 को सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक 
का कार्यवृत्त है. इसमें लिखा है कि सभी भारतीय सर्विस प्रोवाइडर आईटी एक्ट से सम्बंधित 
नियमावली का पूरा पालन सुनिश्चित कर चुके हैं और उनके द्वारा शिकायत अधिकारी नियुक्त हो 
चुके हैं, वहीँ विदेशी प्रोवाइडर इसका पालन नहीं कर रहे हैं. 
 
इस बैठक में यह बात आई कि विदेशी सर्विस प्रोवाइडर शिकायत अधिकारी नियुक्त नहीं करने की 
जगह इस कार्य हेतु एक खास ईमेल की व्यवस्था करने की बात करते हैं. पर इसी बैठक की कार्यवृत्त 
में आईटी विभाग के ग्रुप कोऑर्डिनेटर डॉ गुलशन राय के हवाले से यह भी कहा गया है कि इस प्रकार
 से कथित रूप से शिकायती ईमेल वनाये जाने की बात वास्तव में कारगर नहीं होती दिख रही है.
 भारत सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय सर्विस प्रोवाइडर ट्विटर को इस प्रकार की एक शिकायत भेजते हुए 
उसे हटाने का निवेदन किया. लेकिन सरकार के आवेदन  के बाद ना ट्विटर की तरफ से ना तो 
कोई प्रतिक्रिया आई और ना ही उस मामले में कोई कार्यवाही ही की गयी. बाद में ट्विटर ने 
स्वीकार किया कि वह सरकार का भेजे ईमेल को खोज पाने में असफल है. 
 
जाहिर है ऐसे शिकायती ईमेल पर आप बार-बार अपनी शिकायत भेजते रहेंगे और कुछ भी निकल 
कर सामने नहीं आने वाला है. 
 
एक उपभोक्ता और सामाजिक रूप से सक्रीय नागरिक के रूप में हमारी मांग और हमारा प्रयास मात्र
 इतना है कि यह वर्तमान स्थिति दूर हो. साथ ही यह भी जान कर अजीब लगता है कि हमारी 
सरकार का सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ट्विटर और इस जैसे अन्य व्यावसायिक संगठनों से क़ानून
 का अनुपालन करवा पाने में असफल हो रहा है. मेरी सोच में तो इसमें इन कंपनियों की मनबढ़ई 
नहीं, हमारे क़ानून का पालन कराने की इच्छाशक्ति में कमी है. वर्ना यह संभव है कि कोई विदेशी 
कंपनी देश के क़ानून का उल्लंघन करे और सम्बंधित प्राधिकारी उस पर असहायता प्रकट करें. अरे,
 ये सर्विस प्रोवाइडर कंपनियां इसी देश से करोड़ों कमा रही है, एक बार नियंत्रक प्राधिकारी ठीक से 
आँखें तरेर दे और क़ानून का सख्ती से पालन करने के आदेश दे दो, मजाल है इन कंपनियों की, 
देश के क़ानून और क़ानून का पालन करने वाले प्राधिकारियों के आदेशों का उल्लंघन करें. 
 


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