Friday, June 20, 2014

Copy of FIR about cheating of Brazilian NRI by UPICO



सेवा में,
प्रभारी निरीक्षक,
थाना काकादेव,
जनपद- कानपुर नगर  

महोदय,
       मैं अमिताभ ठाकुर वर्तमान में आईजी/संयुक्त निदेशक, नागरिक सुरक्षा, उत्तर प्रदेश लखनऊ के पद पर तैनात हूँ और आपके समक्ष उत्तर प्रदेश इंडस्ट्रियल कंसल्टेंट्स लिमिटेड (यूपीको), कानपुर पता 5वां तल, कबीर भवन, जीटी रोड, सर्वोदय नगर, थाना काकादेव, कानपुर- 208002 (फोन नंबर 0512-2216135, 2213596 फैक्स- 0512-2242719, वेबसाइट http://www.upico.org/) से जुड़ा एक गंभीर प्रकरण प्रस्तुत कर रहा हूँ जो मुझे मेरे एक परिचित वर्तमान में ब्राजील में निवास कर रहे श्री अमिताभ रंजन द्वारा अवगत कराया गया.
श्री अमिताभ रंजन ने विभिन्न तिथियों में अपने ईमेल
missionamitabh@yahoo.com से मुझे मेरे ईमेल amitabhthakurlko@gmail.com पर एक श्री गौरी शंकर प्रकाश पीरुपल्ले (ईमेल gourisankarprakash@ig.com.br) से जुड़ा प्रकरण बताया.  श्री गौरी शंकर जमशेदपुर, झारखण्ड से रिटायर हो कर 1978 से ब्राजील में बसे हुए हैं.
इन ईमेल के अनुसार दिसंबर
2008 से अप्रैल 2009 के मध्य यूपीको ने ब्राजील में कुछ कार्यक्रम आयोजित किये. इस कार्यक्रम हेतु पैसा भारत सरकार के कॉमर्स मंत्रालय द्वारा वहां किया जाना था. भारत सरकार के निर्देशों और सहयोग के बल पर यूपीको ने ब्राजील में यह वृहद् कार्यक्रम आयोजित किया जिनमे शोरूम, वेयरहाउस तथा अन्य तमाम खर्चे के लिए यूपीको की ओर से जार्डिम, साओ पाउलो, ब्राजील के निवासी श्री मार्को अंतोनियो टोर्रेस कार्वाल्हो नियत किये गए थे. श्री कार्वाल्हो ने अपने स्तर से यूपीको की जानकारी और सहमति से श्री गौरी शंकर प्रकाश को इस कार्य में अपना सहयोगी बनाया और इस प्रकार श्री प्रकाश और श्री कार्वाल्हो ने मिल कर एक साथ यूपीको के लिए ब्राजील में काम किया और इस अवधि में यूपीको को विभिन्न प्रकार की सुविधा मुहैया कराई और इसमें अपने पैसे खर्च किये.
श्री कार्वाल्हो ने अन्य बातों के अलावा श्री फ्रांसिस्का नेलिडा ओस्त्रोविच्ज़, निवासी अवेनिदा एंजेलिका, ब्राजील के साथ दिनांक
01/02/2008 को श्री ओस्त्रविच्ज़ के मकान का लीज एग्रीमेंट किया. इसके अतिरिक्त इस पूरी अवधि में श्री कार्वाल्हो के कई अन्य खर्चे भी हुए. मुझे जो बिल भेजे गए हैं उनमे दिसंबर 2008 से अप्रैल 2009 के 5 महीने के बिजली, प्राकृतिक गैस, वीआईपी होटल बिल, ऑफिस रेंट, टेलेफोन, इन्टरनेट, पेट्रोल, कार पार्किंग, ऑफिस सामग्री, पार्सल आदि के साथ श्री गौरी शंकर प्रकाश के फीस सम्मिलित हैं. इन बिल के साथ तमाम ऐसी रसीदें संलग्न हैं जो श्री प्रकाश की बात को पुख्ता करती हैं.
श्री कार्वाल्हो और श्री गौरी द्वारा श्री परवेज़ अहमद, तत्कालीन कंसल्टेंट को संयुक्त रूप से भेजा गया पत्र दिनांक
16/04/2009 इस हेतु विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जिसमे दोनों ने सामूहिक रूप से अवगत कराया है कि कुल 58,750.76 डॉलर श्री कार्वाल्हो के एकाउंट में ट्रांसफर किया जाना था जिसमे श्री कार्वाल्हो और श्री गौरी शंकर द्वारा परस्पर सहमति से श्री कार्वोल्हा के 16,539.43 डॉलर तथा श्री गौरी शंकर प्रकाश के 42,211.33 डॉलर हैं.
इसके बाद श्री गौरी शंकर ने ना जाने कितनी ही बार यूपीको के अधिकारियों को पत्र और ईमेल द्वारा ब्राजील शोरूम एवं वेयरहाउस पर दिसंबर
2008 से अप्रैल 2009 के बीच किये गए उनके खर्च के विषय में अवगत कराया पर यूपीको ने तब से अब तक श्री गौरी शंकर के पैसे देने से मना किया है, जबकि तथ्यात्मक स्थिति यह है कि इस प्रोजेक्ट के लिए कॉमर्स मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा काफी पहले ही आवश्यक फंड रिलीज़ हो चुका है. श्री गौरी शंकर बार-बार यह लिख रहे हैं कि उन्होंने अपने जेब से पैसे खर्च किये थे, ब्राजील में उन्हें इसके लिए काफी ब्याज दर देना पड़ रहा है लेकिन यूपीको इसे पूरी तरह नज़रंदाज़ कर रहा है.
श्री गौरी शंकर का कहना है कि फ़रवरी
2009 में यूपीको के पूर्व एमडी श्री ए के भटनागर (फोन नंबर 09873187789) की जगह श्री विक्रम हंस नए सीएमडी बने और उनके आश्वासन पर भी श्री गौरी शंकर ने बदस्तूर अप्रैल तक अपना काम जारी रखा था. श्री गौरी शंकर ने अपने इन ईमेल में कहा कि श्री विक्रम हंस ने उन्हें वादा किया था कि जुलाई 2009 तक प्रत्येक दशा में उनका पैसा मिल जायेगा. इसके बाद श्री गौरी शंकर लगातार ईमेल और श्री विक्रम हंस के फोन नंबर 09984296555 पर संपर्क करते रहे पर उन्हें अपना पैसा आज तक नहीं मिला जबकि कॉमर्स मंत्रालय ने  जुलाई 2009 में ही ब्राजील प्रोजेक्ट की धनराशि रिलीज़ कर दी थी.  
मैंने इस सम्बन्ध में श्री विक्रम हंस, पूर्व सीएमडी और श्री प्रवीण सिंह, वर्तमान सीएमडी से भी बात की लेकिन उससे कोई नतीजा नहीं निकला. उन दोनों ने कहा कि श्री गौरी शंकर का दावा झूठा और गलत है और उसमे कोई दम नहीं है. उन्होंने कहा कि ब्राजील प्रोजेक्ट के लिए प्राप्त पूरी धनराशि का ऐडजस्टमेंट हो गया है और अब इसमें कोई बात शेष नहीं है. उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में उनके रिकार्ड्स में श्री गौरी शंकर प्रकाश का कोई भी क्लेम नहीं है और इस प्रकार उनके क्लेम के सम्बन्ध में अब कोई भी चर्चा बेमानी है. उन दोनों की बात से ऐसा लग रहा था कि वे अब इस मुद्दे को पूरी तरह भूल जाना चाहते हैं.
इसके विपरीत श्री ए के भटनागर, पूर्व सीएमडी यूपीको, जिनके समय इस प्रकरण की शुरुवात हुई, ने मुझसे अपनी बातचीत में स्पष्टतया स्वीकार किया कि श्री गौरी शंकर के साथ ठगी की जा रही है, उन्होंने यूपीको के साथ काम किया था, उनका यूपीको पर पैसा बकाया है पर यूपीको उनका पैसा नहीं दे रहा. श्री भटनागर के अनुसार इसके मुख्य बात यह है कि यूपीको को कॉमर्स मंत्रालय से पैसा मिल गया है पर उन्होंने इसे गलत ढंग से इधर-उधर फर्जी खर्चा दिखा कर श्री गौरी शंकर के जायज खर्चे को देने से मना कर रहे हैं. श्री भटनागर ने मुझे बताया कि यूपीको के पूर्व सीएमडी श्री विक्रम हंस सहित कुछ सम्बंधित अधिकारियों ने मिल कर अपना बैलेंस शीट अपनी मर्जी से गलत-सही बना लिया और श्री गौरी शंकर को पैसा नहीं दिया. उन्होंने बताया कि इस मामले में यूपीको द्वारा फर्जी दस्तावेज़ बनाए गए हैं और इनके आधार पर श्री गौरी शंकर के वाजिब हक़ को दरकिनार किया जा रहा है.
श्री भटनागर ने मुझे इस सम्बन्ध में अपने ईमेल ak@monashlimited.com से भेजे कई मेल भी भेजे. इनमे दिनांक 08/08/2009  को श्री विक्रम हंस को भेजे मेल में यह बात स्पष्ट रूप से कहा. साथ ही इसमें अपने पूर्व ईमेल दिनांक 05/08/2009 में भी उन्होंने यह बात कही थी और यह भी बताया था कि इस हेतु सरकारी ग्रांट मिल चुका है. श्री भटनागर ने पुनः अपने मेल दिनांक 13/08/2009 द्वारा यह बात दुहराई थी. उन्होंने साफ़ कहा था कि यदि श्री गौरी शंकर प्रकाश का वाजिब बकाया नहीं दिया गया तो इसके लिए यूपीको जिम्मेदार होगा.
इसके अतिरिक्त श्री गौरी शंकर के ईमेल दिनांक 28/09/2009, 01/10/2009, 04/02/2011 की प्रति मेरे पास है जिनमे उनके द्वारा बार-बार कहा कि श्री विक्रम हंस से फोन नंबर 09984296555 पर बात करने और उनके व्यक्तिगत आश्वासन और के बाद भी उन्हें आज तक अपना पैसा नहीं मिला है. उन्होंने इन मेल में अपने R$ 42.211,33 + R$ 9.280,20 अर्थात R$ 51491,53 { बिना ब्याज } = 30289,14 यूएस डॉलर बकाये की मांग की है.
हाल में श्री अमिताभ रंजन के मेरे संपर्क में आने के बाद और मेरे द्वारा श्री गौरी शंकर प्रकाश की मदद करने का आश्वासन देने के बाद श्री गौरी शंकर ने अपने ईमेल दिनांक 14/06/2014 द्वारा मुझे इस सम्बन्ध में अग्रिम कार्यवाही किये जाने हेतु अधिकृत किया जिसके बाद मैं श्री गौरी शंकर के प्रकाश के R$ 51491,53 { बिना ब्याज } = 30289,14 यूएस डॉलर (जो वर्तमान डॉलर रुपये समतुल्य के अनुसार आज की तिथि को 18.25 लाख रुपये हुए) यूपीको के विभिन्न अधिकारियों द्वारा भारत सरकार से धन प्राप्त हो जाने के बाद भी छलपूर्वक हथिया लेने, इस हेतु अपने एकाउंट बुक में गलत खाता-बही का सृजन करने, कूटरचना, मिथ्या दस्तावेज़ की रचना करने और इस प्रकार सरकारी धन का गबन कर लेने के गंभीर अपराध के सम्बन्ध में यह प्रार्थनापत्र आपके सम्मुख एफआइआर दर्ज किये जाने हेतु प्रस्तुत कर रहा हूँ ताकि श्री गौरी शंकर प्रकाश जैसे एक वरिष्ठ नागरिक, जिन्होंने देश सेवा के जज्बे से ब्राजील में अपना खर्च कर ब्राजील प्रोजेक्ट में अपना पैसा और समय खर्च कर योगदान किया और इसके बदले उन्हें यूपीको, कानपुर के कुछ अधिकारियों द्वारा यूपीको, कानपुर में धोखा मिला, उनके साथ न्याय हो सके और इस मामले में अब तक जो गलत सन्देश जा रहा है उसका समापन हो सके.
निवेदन करूँगा कि श्री गौरी शंकर प्रकाश की ओर से समस्त तथ्य प्रस्तुत करने हेतु मैं निरंतर आपकी सेवा में उपस्थित रहूँगा.

पत्र संख्या-
AT/Brasil/01                                        भवदीय,
दिनांक
-20/06/2014
                                                              (अमिताभ ठाकुर )
                                                           
      5/426, विराम खंड,
                                                            गोमती नगर, लखनऊ

                                                                                                                                                                    # 94155-34526
प्रतिलिपि- वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, कानपुर नगर को कृपया अपने स्तर से भी प्रभारी निरीक्षक, काकादेव को प्रथम सूचना रिपोर्ट अंकित कर अग्रिम कार्यवाही किये जाने हेतु आदेशित करने के लिए

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