Sunday, September 22, 2013

Letter to DGP, UP for registration of FIR on SSP, Morabadab



सेवा में,
पुलिस महानिदेशक,
उत्तर प्रदेश,
लखनऊ 

विषय- एसएसपी मुरादाबाद द्वारा तीन फौलोवर को पीटने के मामले में एफआइआर दर्ज किये जाने हेतु
 
महोदय,
      मैं अमिताभ ठाकुर यूपी कैडर में आइपीएस अधिकारी हूँ पर मैं यह पत्र पूर्णतया अपनी व्यक्तिगत हैसियत में मानवाधिकार हनन विषयक एक अत्यंत गंभीर प्रकरण में न्यायोचित कार्यवाही की अपेक्षा में आपको प्रेषित कर रहा हूँ.

कृपया निवेदन है कि मैंने आज दिनांक
22/09/2013 को समाचारपत्रों में एसएसपी मुरादाबाद द्वारा तीन फौलोवर को पीटने की घटना पढ़ी. समाचार के अनुसार श्री सुंदर सेंगर, श्री दया किशन और श्री गुमान सिंह (पुलिस में चतुर्थश्रेणी कर्मचारी) की तैनाती मुरादाबाद के एसएसपी श्री राजेश मोदक के घर पर थी. एसएसपी से मिलने के लिए मुरादाबाद से समाजवादी पार्टी के सांसद पद के प्रत्याशी और पूर्व मेयर डॉ. एसटी हसन कप्तान आ रहे थे. जिस वक्त पीआरओ का फोन आया, एसएसपी साहब नहा रहे थे. इन्हीं कर्मचारियों ने फोन उठाया और बता दिया कि श्री राजेश मोदक साहब नहा रहे हैं. फिर फोन आया तो बता दिया गया कि साहब नाश्ता कर रहे हैं.  समाचार के अनुसार उन फौलोवर को पीआरओ ने यह नहीं बताया कि डॉ. हसन एसएसपी से मिलने आ रहे हैं और इसकी सूचना एसएसपी को दे दी जाए. तकरीबन एक घंटे बाद एसएसपी को पता चला कि डॉ. हसन उनसे मिलने आए हैं और घंटेभर से इंतजार कर रहे हैं. इसी बात पर नाराज़ हो कर एसएसपी मुरादाबाद ने तीनों कर्मचारियों की घर के भीतर ही वाइपर, झाड़ू और डंडा लेकर पिटाई की. उन तीनों फौलोवर ने डीआईजी से भी शिकायत की है. वहां तीनों को कहा गया कि वे शिकायत पत्र दे जाएं.
चूँकि यह घटना अत्यंत गंभीर, निंदनीय और लोमहर्षक थी. अपने एक लम्बे समय के अनुभव से जानता हूँ कि कई लोगों द्वारा इस प्रकार की घटनाएं की जाती हैं. मैं निरंतर अधीनस्थ पुलिसकर्मियों के हित के लिए कार्य करता हूँ, अतः मैंने प्रयास करके उन फौलोवर का नंबर जाना. मुझे श्री गुमान सिंह का नंबर 095579-17565 ज्ञात हुआ और मैंने उनसे अपने फ़ोन नंबर 094155-34526  से समय 10.29 बजे 12.01 मिनट तक बात की जिसमे मेरे रुपये 6.50 व्यय हुए.
श्री गुमान सिंह ने मुझे बताया-“मैं आपको जानता हूँ. आप यहाँ एसपी सिटी तैनात रहे हैं. जब से मैं पुलिस विभाग में आया हूँ, तब से लगभग यहीं एसएसपी बंगले पर तैनात हूँ, ग्यारह साल से ड्यूटी पर हूँ. कल डॉ एसटी हसन आये थे, हमें पता नहीं था, एसएसपी साहब के पीआरओ ने मुझसे पानी माँगा लेकिन पीआरओ ने मुझे नहीं बताया कि डॉ एसटी हसन आये हैं. मैं डॉ हसन को नाम से जानता था, शकल से नहीं जान रहा था. इसके कुछ देर बाद पीआरओ का फोन आया तो मैंने बताया कि साहबा नाश्ता कर रहे हैं. जब बाद में एसएसपी साहब बाहर आये और डॉ हसन के आने की बात सुनी तो अचानक नाराज़ हो गए. मुझे हाथ पर, सिर पर बड़ी बेरहमी से मारा.  पहले मुझे मारा, फिर सुन्दर को और फिर दया किशन को मारा. हम इसके बाद डीआईजी साहब के पास गए थे. डीआईजी साहब ने कहा कि प्रार्थना पत्र दे देना.”
मेरे पूछने पर श्री गुमान सिंह ने बताया कि घटना लगभग
11.30-11.45 बजे की है. अभी तक ना तो एफआइआर हुआ है और ना ही मेडिकल कराया गया है.

इसके बाद श्री गुमान सिंह ने मुझे बगल में खड़े श्री सुन्दर से बात कराया. उन्होंने बताया-“मैं आपको जानता हूँ. आप पीटीसी में तैनात थे. मैं आपके सामने के घर में दुबे साहब सीओ साहब के यहाँ ड्यूटी करता था.” उन्होंने भी डॉ एस टी हसन वाली घटना विस्तार से बतायी. यह भी बताया-“हम एसएसपी साहब के कमरे में नहीं कमरा बंद होने पर जाना नहीं चाहते थे. यदि हम फ़ाइल ले जाते तो मैडम डांटती थीं. कहती थीं कि इनका वेतन काट दो, इन्हें फ़ाइल लाने में क्या मिलता है. हमें बिना अनुमति के अन्दर ले जाने पर वेतन काटने की बात होती थी.”

श्री सुन्दर ने यह भी बताया-“साहब ने लात घुसे से मारे. गुमान सिंह बुड्ढे आदमी हैं. उन्हें सिर पर भी मारा जहां चोट लगी है. एसएसपी साहब के मारने से वाइपर टेढ़ा हो गया. पीआरओ साहब को भी हडकाया कि हमने नहीं बताया. मुझे भी अच्छी चोट लगी है. कल मैं जमीन पर सोया. हमने डीआईजी साहब के सामने अपनी समस्या रखी और अपने घाव दिखाया. हमने कहा कि जो दंड देते मौखिक देते हम मजबूर थे. वहीँ पत्रकार आ गए जिन्हें हमने सारी बात बतायी.”
श्री सुन्दर ने बताया-“ मेरे पिता पुलिस विभाग में एचसीपी थे. उत्तरांचल में ब्रेन हैमरेज में मौत हो गयी. मृतक आश्रित में मेरी नौकरी लगी है. मुझे सिपाही बनाया जाना चाहिए था. झाडू पोछा बर्तन करता हूँ. हम गाली-गलौच सहते हैं लेकिन मार पीट बर्दाश्त नहीं है. शाम में हमें मैडम ने बुलाया, कहा दस महीने का वेतन काटो और अभी इनका आवास खाली करा लो.”
श्री सुन्दर यह बात करते-करते रो पड़े थे.

इनसे बात करने के बाद मैंने डीआईजी मुरादाबाद से उनके सरकारी मोबाइल नंबर
94544-00213 पर 10.54 बजे लगभग 1.06 मिनट बात किया. मैंने उन्हें निवेदन किया कि मैं इस मामले में न्याय हेतु हर न्यायिक ढंग से प्रयत्नशील होऊंगा. अतः उनसे निवेदन किया कि इस प्रकरण में न्याय करें और एफआईआर दर्ज करा कर अग्रिम कार्यवाही कराएं.

मैं उपरोक्त सभी तथ्य विस्तार से प्रस्तुत करते हुए आपसे निम्न निवेदन करता हूँ-
1. कृपया इस मामले में तत्काल इन तीन फौलोवर श्री सुंदर सेंगर, श्री दया किशन और श्री गुमान सिंह की ओर से प्रथम सूचना रिपोर्ट अंकित कराये जाने के निर्देश निर्गत करें.
2. कृपया इस गंभीर प्रकरण की तत्काल प्रशासनिक जांच करा कर जांच रिपोर्ट के आधार पर न्यायसंगत प्रशासनिक कार्यवाही करने की कृपा करें
3. कृपया अन्य सभी पुलिस अधिकारियों को इस घटना के परिप्रेक्ष्य में अपने घर पर कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के साथ सही प्रकार से व्यवहार और आचरण करने हेतु निर्देश निर्गत करने की कृपा करें.

मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप द्वारा इन समस्त बिंदुओं पर ध्यान देते हुए यथोचित न्यायपूर्ण निर्णय लिया जाएगा.

पत्र संख्या-
AT/MBD/DGP/01                                     भवदीय,
दिनांक-
22/09/2013
                                                            (अमिताभ ठाकुर)
                                                         
   5/426, विराम खंड,
                                                         
 गोमती नगर, लखनऊ
                                                                                                                                      
# 94155-34526

प्रतिलिपि- प्रमुख सचिव (गृह), उत्तर प्रदेश, लखनऊ को कृपया आवश्यक कार्यवाही हेतु


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